Dwi
An Astu Original
The duality that is a woman. A poem, and a portrayal.
Written by Maulik Pandey
Performed by Anshulika Kapoor, Archana Mittal & Shatarupa Bhattacharyya
Direction, Cinematography & Post Production: Surya Vasishta
Dwi - The Poem
सिर्फ मादा नहीं , माद्दा भी मैं,
साक़ी की शक्ल में मधुशाला भी मैं,
रोम रोम जैसे मादकता से लैस
कभी लुभाती तो कभी तरसाती भी मैं।
कशिश निचोड़ रखी है सृष्टि नें मुझमें,
फिर भी पग जो मेरे लड़खड़ाते अगर
तो ख़ुद ही सम्भल जाती मैं ।
सिर्फ मादा नहीं, माद्दा भी मैं ।
मैं “दैहिक” भी और “कल्पना” भी,
मेरी छुअन के खड़े रोंगटों से
रक्त शिराओं में दौड़ता संचार भी ।
तुम्हारी गलतियों का “ठीकरा” भी मैं,
तुम्हारी उपलब्धियों का “नादीदा चेहरा” मैं,
तुम्हारे इस “लाचार बेचारगी” की वजह “मैं”
और उस “जादुई काश” के पींगों पे झूलती
तुम्हारी “रसीली कल्पनाओं” की किरदार भी मैं ।
सिर्फ मादा नहीं, माद्दा भी मैं ।
तुम्हारी सम्भाल का ख़्याल भी हूँ मैं
“ग्रहस्थ की ज़ाहिर सी” कमान सम्भालती,
“शोखियों” की चादर सी ओढ़े,
वो लचीली ,पर मज़बूत ढाल भी हूँ मैं ।
“कंधे मिलाकर चलने” वाली रिवायतों को मिटाती
निर्वाह की रेतीली रेस को लांघकर बढ़ती हुई मैं।
बिना किसी ढोंग ढिंढोरे के,
नित नए आयामों से “विजय पताका” लहराती मैं ।
सिर्फ मादा नहीं, माद्दा भी मैं ।
चिंघाड़ते तुम सब “शेरों” पर भारी पड़ती
वो मुड़ी हुई ,पर करारी “नज़्म, रुबाई” भी मैं ।।
भीड़ में अलग चेहरा होकर भी, वो दबी हुई सी कराह भी मैं ।
रीतियों, महफ़िलों में कभी जकड़ी हुई सी,
ख़ानाबदोशी को झाँकती हुई आस सी मैं ।
ग़ैरत और नज़रों को फैला कर,
गर एहसासों से भांपोगे मुझको तो किस्सों –
चमत्कारों वाली अष्टभुजा भी मैं।
सिर्फ मादा नहीं, माद्दा भी मैं,
साक़ी की शक्ल में, मधुशाला भी में ।।
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